जम्मू-कश्मीर में बदले डोमिसाइल रूल्स से कश्मीरी पंडितों और पाकिस्तानी शरणार्थियों को कैसे होगा फायदा
जम्मू-कश्मीर में लागू नए नियमों के तहत प्रदेश में 15 साल से रह रहे और विस्थापितों के तौर पर पंजीकृत लोग नागरिक डोमिसाइल सर्टिफिकेट (Domicile Certificate) पाने के हकदार होंगे. इससे पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों, पंजाब से गए वाल्मिकी समुदाय के लोगों और कश्मीरी पंडितों को फायदा होगा.
जम्मू-कश्मीर में डोमिसाइल रूल्स (Domicile Rules) में किए गए संशोधनों का कुछ राजनीतिक धड़ों ने विरोध किया है. हालांकि, सिर्फ एक संशोधन ने 70 साल से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे 2 लाख लोगों की जिंदगी को बदल दिया है. आजादी के बाद से अपने अधिकार के लिए भटक रहे पश्चिमी पाकिस्तान (West Pakistan) के शरणार्थियों, वाल्मिकी दलित और गोरखा लोगों को राज्य के स्थायी निवासियों (Permanent Residents) के रूप में जगह मिल सकती है.
ये लोग अब जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में मतदान भी कर सकेंगे. इन्हें स्थानीय निवासियों के बराबर अधिकार मिलेंगे. साथ ही नए नियमों के तहत कश्मीर से बाहर रह रहे कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) के बच्चे भी अपना हक पा सकेंगे. स्टेट कैडर अब केंद्रशासित प्रदेश कैडर कहलाएगा. इसी तरह स्टेट सर्विस सिलेक्शन बोर्ड का नाम सर्विस सिलेक्शन बोर्ड होगा. राज्य के स्थायी नागरिक शब्द को केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के डोमिसाइल से बदला गया है.
नए डोमिसाइल रूल्स से मिलेगा सरकारी नौकरियों में फायदा
जम्मू-कश्मीर में 70 साल से शरणार्थियों (Refugees) के रूप में जीवन काट रहे पश्चिमी पाकिस्तान के करीब 1 लाख लोग लोग अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहे हैं. ये लोग बंटवारे के बाद पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर चले आए थे. अपने अधिकारों के लिए लंबे वक्त से तमाम मोर्चों पर संघर्ष करने वाले इन लोगों को अब जम्मू-कश्मीर में स्थायी निवासी होने के सर्टिफिकेट से लेकर सरकारी नौकरियों (Government Jobs) तक का लाभ मिल सकता है.
वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजी फ्रंट के चेयरमैन लब्बा राम गांधी कहते हैं कि पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों को अब तक लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में वोट का अधिकार था. अब वे विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) में भी वोट कर सकेंगे. वेस्ट पाकिस्तानियों की तरह 1957 में पंजाब के गुरदासपुर और अमृतसर से जम्मू-कश्मीर लाए गए वाल्मिकी समुदाय के लोग भी 60 साल से ज्यादा समय से अपने अधिकारों के लिए जूझ रहे थे. इन सभी को अब सरकारी नौकरियों में भी फायदा मिलेगा.
15 साल से राज्य में रह रहे लोगों को डोमिसाइल सर्टिफिकेट
जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री बख्शी गुलाम मोहम्मद ने 1957 में वाल्मिकी समुदाय (Valmiki Community) के 200 परिवारों को पंजाब (Punjab) से जम्मू-कश्मीर इस वादे के साथ बुलाया था कि इन्हें राज्य में स्थायी निवासी का दर्जा और अन्य सुविधाएं मिलेंगी. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, वादे पूरे नहीं हुए और 62 साल से ये परिवार राज्य में सिर्फ सफाईकर्मी का काम करने को मजबूर रहे.
इस समय जम्मू शहर के अलग-अलग इलाकों में रहने वाले वाल्मिकी समुदाय के लोगों की जनसंख्या करीब 50 हजार है. केंद्र सरकार की ओर से केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में लागू किए गए नए नियमों के तहत प्रदेश में 15 साल से रह रहे नागरिक डोमिसाइल सर्टिफिकेट पाने के हकदार होंगे. साथ ही जिन बच्चों ने 7 साल तक प्रदेश के स्कूलों में पढ़ाई की है और 10वीं या 12वीं कक्षा की परीक्षा दी है, वे भी डोमिसाइल के हकदार होंगे.
विस्थापितों के बच्चों को भी मिलेगा डोमिसाइल का फायदा
केंद्रीय गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन आर्डर 2020 जारी कर चुका है. जम्मू-कश्मीर सिविल सर्विस विकेंद्रीकरण और भर्ती कानून 2010 में भी बदलाव किया गया है. इसमें नौकरियों और डोमिसाइल के नियम व शर्तें तय कर दी गई हैं. केंद्र सरकार की गजट अधिसूचना के मुताबिक, लेवल-4 (25500 रुपये ग्रेड) तक की नौकरियों के लिए डोमिसाइल होना जरूरी होगा. इससे स्थानीय युवाओं को राहत मिलेगी. प्रदेश में राहत और पुनर्वास आयुक्त के साथ पंजीकृत विस्थापित भी डोमिसाइल के हकदार होंगे.
प्रदेश में विस्थापितों के तौर पर पंजीकृत लोगों के बच्चों को भी डोमिसाइल का लाभ मिलेगा. केंद्र सरकार के अधिकारी, ऑल इंडिया सर्विस अधिकारी, सार्वजनिक उपक्रमों के अधिकारी, केंद्र सरकार की स्वायत्त इकाइयां, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, केंद्रीय विश्वविद्यालय और पंजीकृत रिसर्च संस्थानों में 10 साल तक काम करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के बच्चे भी डोमिसाइल के हकदार होंगे. बाहरी राज्यों में नौकरियां, व्यापार या अन्य पेशेवर कामों के लिए रह रहे जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के बच्चे के अभिभावक अगर नियम व शर्तें पूरी करते हैं तो डोमिसाइल के हकदार होंगे.
डोमिसाइल जारी नहीं करने वाले अधिकारी पर लगेगा जुर्माना
जम्मू-कश्मीर में स्थानीय नागरिक प्रमाण पत्र (PRC) डोमिसाइल सर्टिफिकेट नियमों के मुताबिक पारदर्शी तरीके से जारी किए जाएंगे ताकि किसी भी व्यक्ति को दिक्कत न हो. नए प्रावधानों के मुताबिककि सर्टिफिकेट जारी करने के लिए 15 दिन का वक्त तय किया गया है. आवेदन संबंधित तहसीलदार के पास करना होगा. सक्षम प्राधिकारी 15 दिन के भीतर आवेदन का निपटारा करेंगे. अगर तय अवधि के भीतर निपटारा नहीं होता है तो आवेदक जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष अपील कर सकेंगे.
अपीलेट अथॉरिटी के आदेश पर तहसीलदार को अंतिम 7 दिन में प्रमाणपत्र जारी करने के आदेश होंगे. अगर इसके बाद भी डोमिसाइल जारी नहीं किया गया तो संबंधित अधिकारी के वेतन से 50 हजार रुपये काटकर जुर्माना लगाया जाएगा. आवेदक को इसके लिए राशन कार्ड, शिक्षा रिकॉर्ड पेश करने होंगे. जम्मू-कश्मीर में 15 साल रहे व्यक्ति के बच्चों के मामले में तहसीलदार सक्षम प्राधिकारी होंगे. वहीं, 7 साल जम्मू-कश्मीर में पढ़ाई करने वाले लोगों के मामले में भी तहसीलदार सक्षम प्राधिकारी रहेगा.
नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने नए नियमों पर जताया विरोध
जम्मू-कश्मीर के दोनों प्रमुख राजनीतिक दल नेशनल कांफ्रेंस (NC) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने नए नियमों पर ऐतराज जताते हुए कहा है कि इनसे राज्य की जनसांख्यिकी (Demography) में बदलाव की कोशिश की जा रही है. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल कांफ्रेंस का कहना है कि डोमिसाइल कानून में संशोधन जम्मू-कश्मीर रिकग्नीशन एक्ट 2019 के तहत किया गया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी गई है. वहीं, पीडीपी ने कहा है कि वह नई पॉलिसी का लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करेगी. पार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार का ध्यान कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी (Pandemic) के बजाय जम्मू-कश्मीर को कमजोर करने पर लगा हुआ है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो जम्मू-कश्मीर का मुद्दा सुलझने के बजाय और उलझ जाएगा.
क्या है डोमिसाइल और इससे किस तरह मिलता है फायदा
डोमिसाइल ऐसा प्रमाणपत्र है, जिससे पता चलता है कि कोई व्यक्ति कितने साल से प्रदेश में रह रहा है. इससे प्रदेश के नागरिक के तौर पर व्यक्ति की पहचान होती है. उसे उसी हिसाब से तय नियम व शर्तो के हिसाब से सुविधाएं मिलेंगी. केंद्र ने जम्मू कश्मीर में 15 साल तक रहने वाले नागरिक के लिए डोमिसाइल का प्रावधान रखा है. डोमिसाइल लागू होने का फायदा स्थानीय लोगों को मिलेगा.
विभिन्न प्रोफेशनल, तकनीकी कोर्सों में आवेदन करने में डोमिसाइल काम आएगा. प्रधानमंत्री विशेष स्कॉलरशिप योजना का फायदा भी डोमिसाइल वाले युवाकों को मिलेगा. प्रधानमंत्री विशेष स्कॉलरशिप योजना सिर्फ प्रदेश के युवाओं के लिए ही लागू है. नीट का पेपर प्रदेश के सभी युवक देंगे, लेकिन जम्मू-कश्मीर के मेडिकल कॉलेजों में दाखिला डोमिसाइल वालों को ही मिलेगा. वहीं, केंद्रशासित प्रदेश में किसी भी पद पर नियुक्ति के लिए भी डोमिसाइल सर्टिफिकेट का होना पहली शर्त है.
ये लोग अब जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में मतदान भी कर सकेंगे. इन्हें स्थानीय निवासियों के बराबर अधिकार मिलेंगे. साथ ही नए नियमों के तहत कश्मीर से बाहर रह रहे कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) के बच्चे भी अपना हक पा सकेंगे. स्टेट कैडर अब केंद्रशासित प्रदेश कैडर कहलाएगा. इसी तरह स्टेट सर्विस सिलेक्शन बोर्ड का नाम सर्विस सिलेक्शन बोर्ड होगा. राज्य के स्थायी नागरिक शब्द को केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के डोमिसाइल से बदला गया है.
नए डोमिसाइल रूल्स से मिलेगा सरकारी नौकरियों में फायदा
जम्मू-कश्मीर में 70 साल से शरणार्थियों (Refugees) के रूप में जीवन काट रहे पश्चिमी पाकिस्तान के करीब 1 लाख लोग लोग अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहे हैं. ये लोग बंटवारे के बाद पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर चले आए थे. अपने अधिकारों के लिए लंबे वक्त से तमाम मोर्चों पर संघर्ष करने वाले इन लोगों को अब जम्मू-कश्मीर में स्थायी निवासी होने के सर्टिफिकेट से लेकर सरकारी नौकरियों (Government Jobs) तक का लाभ मिल सकता है.
वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजी फ्रंट के चेयरमैन लब्बा राम गांधी कहते हैं कि पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों को अब तक लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में वोट का अधिकार था. अब वे विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) में भी वोट कर सकेंगे. वेस्ट पाकिस्तानियों की तरह 1957 में पंजाब के गुरदासपुर और अमृतसर से जम्मू-कश्मीर लाए गए वाल्मिकी समुदाय के लोग भी 60 साल से ज्यादा समय से अपने अधिकारों के लिए जूझ रहे थे. इन सभी को अब सरकारी नौकरियों में भी फायदा मिलेगा.
15 साल से राज्य में रह रहे लोगों को डोमिसाइल सर्टिफिकेट
जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री बख्शी गुलाम मोहम्मद ने 1957 में वाल्मिकी समुदाय (Valmiki Community) के 200 परिवारों को पंजाब (Punjab) से जम्मू-कश्मीर इस वादे के साथ बुलाया था कि इन्हें राज्य में स्थायी निवासी का दर्जा और अन्य सुविधाएं मिलेंगी. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, वादे पूरे नहीं हुए और 62 साल से ये परिवार राज्य में सिर्फ सफाईकर्मी का काम करने को मजबूर रहे.
डोमिसाइल कानून में संशोधन के बाद अब जम्मू-कश्मीर में रह रहे पाकिस्तानी शरणार्थियों को विधानसभा चुनावों में वोटिंग के आधिकार के साथ ही सरकारी नौकरियों में भी फायदा मिलेगा.
इस समय जम्मू शहर के अलग-अलग इलाकों में रहने वाले वाल्मिकी समुदाय के लोगों की जनसंख्या करीब 50 हजार है. केंद्र सरकार की ओर से केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में लागू किए गए नए नियमों के तहत प्रदेश में 15 साल से रह रहे नागरिक डोमिसाइल सर्टिफिकेट पाने के हकदार होंगे. साथ ही जिन बच्चों ने 7 साल तक प्रदेश के स्कूलों में पढ़ाई की है और 10वीं या 12वीं कक्षा की परीक्षा दी है, वे भी डोमिसाइल के हकदार होंगे.
विस्थापितों के बच्चों को भी मिलेगा डोमिसाइल का फायदा
केंद्रीय गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन आर्डर 2020 जारी कर चुका है. जम्मू-कश्मीर सिविल सर्विस विकेंद्रीकरण और भर्ती कानून 2010 में भी बदलाव किया गया है. इसमें नौकरियों और डोमिसाइल के नियम व शर्तें तय कर दी गई हैं. केंद्र सरकार की गजट अधिसूचना के मुताबिक, लेवल-4 (25500 रुपये ग्रेड) तक की नौकरियों के लिए डोमिसाइल होना जरूरी होगा. इससे स्थानीय युवाओं को राहत मिलेगी. प्रदेश में राहत और पुनर्वास आयुक्त के साथ पंजीकृत विस्थापित भी डोमिसाइल के हकदार होंगे.
प्रदेश में विस्थापितों के तौर पर पंजीकृत लोगों के बच्चों को भी डोमिसाइल का लाभ मिलेगा. केंद्र सरकार के अधिकारी, ऑल इंडिया सर्विस अधिकारी, सार्वजनिक उपक्रमों के अधिकारी, केंद्र सरकार की स्वायत्त इकाइयां, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, केंद्रीय विश्वविद्यालय और पंजीकृत रिसर्च संस्थानों में 10 साल तक काम करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के बच्चे भी डोमिसाइल के हकदार होंगे. बाहरी राज्यों में नौकरियां, व्यापार या अन्य पेशेवर कामों के लिए रह रहे जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के बच्चे के अभिभावक अगर नियम व शर्तें पूरी करते हैं तो डोमिसाइल के हकदार होंगे.
डोमिसाइल जारी नहीं करने वाले अधिकारी पर लगेगा जुर्माना
जम्मू-कश्मीर में स्थानीय नागरिक प्रमाण पत्र (PRC) डोमिसाइल सर्टिफिकेट नियमों के मुताबिक पारदर्शी तरीके से जारी किए जाएंगे ताकि किसी भी व्यक्ति को दिक्कत न हो. नए प्रावधानों के मुताबिककि सर्टिफिकेट जारी करने के लिए 15 दिन का वक्त तय किया गया है. आवेदन संबंधित तहसीलदार के पास करना होगा. सक्षम प्राधिकारी 15 दिन के भीतर आवेदन का निपटारा करेंगे. अगर तय अवधि के भीतर निपटारा नहीं होता है तो आवेदक जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष अपील कर सकेंगे.
तय समय के भीतर डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया तो संबंधित अधिकारी के वेतन से 50 हजार रुपये काटकर जुर्माना लगाया जाएगा.
अपीलेट अथॉरिटी के आदेश पर तहसीलदार को अंतिम 7 दिन में प्रमाणपत्र जारी करने के आदेश होंगे. अगर इसके बाद भी डोमिसाइल जारी नहीं किया गया तो संबंधित अधिकारी के वेतन से 50 हजार रुपये काटकर जुर्माना लगाया जाएगा. आवेदक को इसके लिए राशन कार्ड, शिक्षा रिकॉर्ड पेश करने होंगे. जम्मू-कश्मीर में 15 साल रहे व्यक्ति के बच्चों के मामले में तहसीलदार सक्षम प्राधिकारी होंगे. वहीं, 7 साल जम्मू-कश्मीर में पढ़ाई करने वाले लोगों के मामले में भी तहसीलदार सक्षम प्राधिकारी रहेगा.
नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने नए नियमों पर जताया विरोध
जम्मू-कश्मीर के दोनों प्रमुख राजनीतिक दल नेशनल कांफ्रेंस (NC) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने नए नियमों पर ऐतराज जताते हुए कहा है कि इनसे राज्य की जनसांख्यिकी (Demography) में बदलाव की कोशिश की जा रही है. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल कांफ्रेंस का कहना है कि डोमिसाइल कानून में संशोधन जम्मू-कश्मीर रिकग्नीशन एक्ट 2019 के तहत किया गया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी गई है. वहीं, पीडीपी ने कहा है कि वह नई पॉलिसी का लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करेगी. पार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार का ध्यान कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी (Pandemic) के बजाय जम्मू-कश्मीर को कमजोर करने पर लगा हुआ है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो जम्मू-कश्मीर का मुद्दा सुलझने के बजाय और उलझ जाएगा.
क्या है डोमिसाइल और इससे किस तरह मिलता है फायदा
डोमिसाइल ऐसा प्रमाणपत्र है, जिससे पता चलता है कि कोई व्यक्ति कितने साल से प्रदेश में रह रहा है. इससे प्रदेश के नागरिक के तौर पर व्यक्ति की पहचान होती है. उसे उसी हिसाब से तय नियम व शर्तो के हिसाब से सुविधाएं मिलेंगी. केंद्र ने जम्मू कश्मीर में 15 साल तक रहने वाले नागरिक के लिए डोमिसाइल का प्रावधान रखा है. डोमिसाइल लागू होने का फायदा स्थानीय लोगों को मिलेगा.
विभिन्न प्रोफेशनल, तकनीकी कोर्सों में आवेदन करने में डोमिसाइल काम आएगा. प्रधानमंत्री विशेष स्कॉलरशिप योजना का फायदा भी डोमिसाइल वाले युवाकों को मिलेगा. प्रधानमंत्री विशेष स्कॉलरशिप योजना सिर्फ प्रदेश के युवाओं के लिए ही लागू है. नीट का पेपर प्रदेश के सभी युवक देंगे, लेकिन जम्मू-कश्मीर के मेडिकल कॉलेजों में दाखिला डोमिसाइल वालों को ही मिलेगा. वहीं, केंद्रशासित प्रदेश में किसी भी पद पर नियुक्ति के लिए भी डोमिसाइल सर्टिफिकेट का होना पहली शर्त है.
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