पाकिस्तान अब भी तालिबान को पनाह दे रहा है : अमेरिकी रिपोर्ट

पाकिस्तान अब भी तालिबान को पनाह दे रहा है : अमेरिकी रिपोर्ट

यूएस डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी का दावा है कि पाकिस्तान ने अफगान तालिबान को शांति वार्ता में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया, लेकिन तालिबान पर हिंसा त्यागने के लिए दबाव नहीं डाला, क्‍योंकि इससे पाकिस्‍तान के तालिबान के साथ कथित संबंध खतरे में पड़ सकते थे.

पाकिस्तान अब भी तालिबान को पनाह दे रहा है : अमेरिकी रिपोर्ट

इस्‍लामाबाद. अमेरिकी रक्षा विभाग की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान (Pakistan) अभी भी तालिबान (Taliban) और उनके सहयोगियों को शरण दे रहा है. अमेरिकी रक्षा विभाग की ओर से इस वर्ष के पहले तीन महीनों की स्थिति पर एक रिपोर्ट अमेरिकी कांग्रेस को भेजी गई है, जिसमें तालिबान के साथ अमेरिकी समझौते, पाकिस्तान, चीन, रूस और अफगानिस्तान में ईरान के इरादों समेत अफगान तालिबान की कार्रवाइयों पर रौशनी डाली गई है.

'इंडीपेंडेंट उर्दू' के मुताबिक अमेरिकी रक्षा विभाग की वेबसाइट पर मौजूद इस रिपोर्ट के अनुसार यूएस डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी का दावा है कि पाकिस्तान ने अफगान तालिबान को शांति वार्ता में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया, लेकिन तालिबान पर हिंसा त्यागने के लिए दबाव नहीं डाला, क्‍योंकि इससे पाकिस्‍तान के अफगान तालिबान के साथ कथित संबंध खतरे में पड़ सकते थे.

पाकिस्‍तान चाहता है अफगानिस्‍तान में भारत के प्रभाव को कम करना
पाकिस्तान ने कई बार अफगानिस्तान के साथ शांतिपूर्ण समाधान की इच्छा व्यक्त की है. फरवरी में अमेरिका और अफगान तालिबान के बीच शांति समझौते के मौके पर पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने स्पष्ट किया था कि इस समझौते में पाकिस्तान की भूमिका हर कदम पर थी. डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के अनुसार पाकिस्‍तान के अब भी अफगानिस्तान में राजनीतिक इरादे यही हैं कि अफगानिस्‍तान में भारत के प्रभाव को कम किया जाए और अफगानिस्तान में मौजूद अस्थिरता को पाकिस्तान में प्रवेश करने से रोका जाए.



रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कोरोना महामारी के कारण पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा को बंद करने से आर्थिक कठिनाइयां पैदा हुई हैं, जिसके कारण अफगानिस्तान में खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ गई हैं. 31 मार्च तक लगभग 2,000 ट्रकों को सीमा पर रोक दिया गया था, जिससे लगभग 42. 5 करोड़ डॉलर का नुक्‍सान हुआ. रिपोर्ट में तालिबान के सैन्य अभियानों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि हिंसा में कमी और शांति समझौते पर हस्ताक्षर के बाद भी तालिबान ने अफगान बलों के खिलाफ अपना अभियान जारी रखा है. अफगानिस्तान में आईएसआईएस की उपस्थिति पर रिपोर्ट में कहा गया है कि समूह अफगानिस्तान में मौजूद है, लेकिन पहले से ही कमजोर है. इस साल मार्च के मध्य तक अफगानिस्तान में 300 से 2,500 आईएसआईएस लड़ाके मौजूद थे.

रिपोर्ट में चीन के हवाले से कहा गया है कि बीजिंग ने अफगान तालिबान और काबुल दोनों के साथ संबंध रखे है, जिसका मुख्य लक्ष्य उइघुर में उग्रवाद को खत्म करना और चीन के आर्थिक हितों की रक्षा करना है. रिपोर्ट के अनुसार ईरान मध्य अफगान सरकार और ईरान की पूर्वी सीमा पर स्थिरता चाहता है, ईरान भविष्य की अफगान सरकार और अफगान चुनावों और राजनीति को प्रभावित करके शांति वार्ता में एक केंद्रीय भूमिका निभाना चाहता है.

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