विराट कोहली ने बचपन में टीम इंडिया की हार देखकर सीखा लक्ष्य का पीछा करना!

विराट कोहली ने बचपन में टीम इंडिया की हार देखकर सीखा लक्ष्य का पीछा करना!

बांग्लादेश के कप्तान तमीम इकबाल (Tamim Iqbal) से बातचीत करते हुए विराट कोहली (Virat Kohli) ने लक्ष्य का पीछा करने पर बड़ी बात कही

विराट कोहली ने बचपन में टीम इंडिया की हार देखकर सीखा लक्ष्य का पीछा करना!


नई दिल्ली. टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) को दुनिया का बेस्ट चेजर कहा जाता है. मतलब लक्ष्य चाहे कितना भी बड़ा वो विराट कोहली ने अपनी बल्लेबाजी से अकसर उसे बौना साबित किया है. विराट कोहली आखिर कैसे बड़े-बड़े लक्ष्यों को भेद देते हैं, इसका खुलासा उन्होंने बांग्लादेश के कप्तान तमीम इकबाल से खास बातचीत में किया. विराट कोहली ने लक्ष्य का पीछा करते हुए अपनी मानसिकता के बारे में लोगों को बताया.

टीम इंडिया की हार से सीखा लक्ष्य का पीछा करना
विराट कोहली (Virat Kohli) ने तमीम इकबाल (Tamim Iqbal) के साथ बातचीत में कहा कि जब वो लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम इंडिया की हार देखते थे तो उन्हें लगता था कि वो इस मैच को जिता देते. मतलब विराट कोहली ने बचपन से ही लक्ष्य का पीछा करने की रणनीतियों पर काम करना शुरू कर दिया था. विराट कोहली ने कहा, 'मुझे मुश्फिकुर रहीम भी कुछ बोलकर प्रेरित कर देते हैं. जब मैं छोटा था तो टीम इंडिया की हार देखता था. मुझे लगता था कि मैं ये मैच जिता सकता था. मैं जब भी उस हालात में होता हूं तो मेरी वो सोच जाग जाती है. लक्ष्य का पीछा करते हुए आपको पता होता है कि क्या करना है. इससे ज्यादा आसान और साफ हालात नहीं हो सकते. मैं हालात को दबाव नहीं मौके की तरह देखता हूं. मेरे लिए जीतना जरूरी होता है. मैं सोचता हूं कि टीम को जिताकर मैं नॉट आउट आ सकता हूं.'

विराट (Virat Kohli) ने आगे कहा, 'मुझे 2012 का एक मैच याद है जब मैं श्रीलंका के खिलाफ होबार्ट में खेला था. वहां पर हमें क्वालिफाई करने के लिए 40 ओवर में 330 रनों के आसपास रन बनाने थे. मैंने रैना से बात करते हुए रणनीति बनाई कि हम इसे दो टी20 मैच की तरह खेलेंगे. मैंने सोचा पहले 20 ओवर में विकेट हाथ में रखकर रन बनाएंगे और आखिरी 20 ओवर में हम ज्यादा से ज्यादा रन बटोरने की कोशिश करेंगे.'



ऐसे बदला विराट का करियर

तमीम इकबाल ने विराट कोहली (Virat Kohli) से पूछा, 'जब आप 2009 में आए थे तो मैंने आपको देखा था और 2012 में आप बिलकुल अलग खिलाड़ी बन गए, ये कैसे हुआ?' विराट कोहली ने इसका जवाब दिया, 'मैं एक सीरीज खेलने के बाद टीम से बाहर हो गया था. चैंपियंस ट्रॉफी में मुझे मौका मिला था. एक मैच में मुझे मैन ऑफ द मैच मिला. जब मैंने श्रीलंका के खिलाफ पहला शतक लगाया तो मुझे वहां से लगा कि मैं लंबे समय तक टीम इंडिया के लिए खेल सकता हूं. नंबर 3 पर आकर चेज करते हुए रन बनाना बड़ी बात होती है. आपको अच्छी तैयारी करनी जरूरी होती है.'

विराट (Virat Kohli) ने आगे कहा, 'मैं अपने युवा खिलाड़ियों से यही कहता हूं कि खुद पर भरोसा होना चाहिए. कभी ये नहीं सोचना चाहिए कि अनुभवी खिलाड़ी आउट हो गए तो मैं कैसे करूंगा. आपको खुद पर भरोसा रखना चाहिए और सोचना चाहिए कि मैं कर सकता हूं. मैंने खुद पर हमेशा भरोसा रखा है. आप किसी भी हालात को सकरात्मक अंदाज में देख सकते हैं. मैंने हमेशा ऐसे ही तैयारी की है. अगर आपका रवैया सही है तो आपको अच्छे नतीजे जरूर मिलेंगे.

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