लॉकडाउन में बढ़ रहा डिप्रेशन, लोगों में नजर आ रही सुसाइडल टेंडेंसीः डॉ. आशिमा रंजन
डॉ. आशिमा ने बताया कि कई लोग घर में 13 से 15 घंटे तक काम कर रहे हैं जो कि उनके मेंटल हेल्थ (Mental Health) के लिए खतरे की घंटी है. कई लोगों को इस लॉकडाउन (Lockdown) में नौकरी जाने का डर भी सता रहा है जिसके चलते वह तनाव (Stress) का शिकार हो रहे हैं.
लॉकडाउन (Lockdown) ने लोगों की मुसीबतें काफी हद तक बढ़ा दी हैं. इन दिनों किसी अन्य रोग की तुलना में डिप्रेशन (Depression) के मरीज ज्यादा संख्या में बढ़ गए हैं. हालात ये हैं कि हर 10 मरीज में से 4 में सुसाइड की टेंडेंसी (Suicidal Tendency) देखने को मिल रही है. इसके चलते स्वास्थ्य विभाग (Health Department) में चिंता में नजर आ रहा है. इस बारे में हमने यर्थाथ हॉस्पिटल (Yatharth Hospital) की कंसलटेंट मनोचिकित्सक डॉ. आशिमा रंजन (Dr. Ashima Ranjan) से बात की. उनसे बात करने पर पता चला कि लॉकडाउन के चलते कई लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. इसके पीछे का कारण है कि कई लोगों की आजीविका खतरे में आ गई है जिसके चलते उन्हें अपना परिवार चलाने की चिंता सता रही है.
लॉकडाउन में नौकरी चले जाने का डर
लोगों को डर लग रहा है कि उनके बच्चों का भविष्य वह कैसे ठीक कर पाएंगे. वहीं कुछ लोगों को वर्क फ्रॉम होम में इतना ज्यादा काम करना पड़ रहा है कि वह स्ट्रेस का शिकार हो रहे हैं. डॉ. आशिमा ने बताया कि कई लोग घर में 13 से 15 घंटे तक काम कर रहे हैं जो कि उनके मेंटल हेल्थ के लिए खतरे की घंटी है. कई लोगों को इस लॉकडाउन में नौकरी चले जाने का डर भी सता रहा है जिसके चलते वह तनाव का शिकार हो रहे हैं. ऐसे में डिप्रेस्ड लोगों के मन में सुसाइड करने का ख्याल सबसे ज्यादा आता है.
डिप्रेशन में लोग काफी हताश हो जाते हैं
डॉ. आशिमा ने बताया कि डिप्रेशन में लोग काफी हताश हो जाते हैं. ऐसे में सुसाइड के अलावा उनके पास और कोई चारा नहीं बचता. तनाव ग्रसित लोगों में अपने जीवन में आशा की कोई किरण नजर नहीं आती है. ऐसे में उन्हें मरने के अलावा कुछ नहीं सूझता. इसके अलावा सुसाइड की टेंडेंसी के लिए कुछ कैमिकल्स भी जिम्मेदार होते हैं जो शरीर में तनाव की स्थिति को और अधिक बढ़ाते हैं.
अपना परिवार कैसे पालेंगे
वहीं डॉ. आशिमा ने बताया कि लॉकडाउन में सुसाइड की स्थिति ज्यादा बन रही है. कुछ लोग इस समय अपने काम को लेकर चिंतित हैं जिन्हें लग रहा है कि लॉकडाउन की वजह से उनकी नौकरी जा सकती है और ऐसे में वह अपना परिवार कैसे पालेंगे, वहीं जिन लोगों की नौकरी चली गई है और उनके पास खाने तक के पैसे नहीं हैं उनमें भी सुसाइड करने की टेंडेंसी पैदा हो रही है.
बीमारी से न लड़ पाने का भय
वहीं कुछ लोग जो कोविड 19 पॉजिटिव हैं उनमें इस बीमारी से न लड़ पाने का भय काम कर रहा है जिसके चलते वह सुसाइड कर रहे हैं, वहीं कई कोरोना संक्रमित ये सोचकर सुसाइड की तरफ कदम बढ़ाना चाहते हैं कि वह इस अछूत बीमारी से ग्रसित हो चुके हैं और दूसरे लोग अब उन्हें किसी अलग दृष्टि से देखेंगे या फिर उन्हें इस समाज से अलग कर दिया जाएगा.
लॉकडाउन में नौकरी चले जाने का डर
लोगों को डर लग रहा है कि उनके बच्चों का भविष्य वह कैसे ठीक कर पाएंगे. वहीं कुछ लोगों को वर्क फ्रॉम होम में इतना ज्यादा काम करना पड़ रहा है कि वह स्ट्रेस का शिकार हो रहे हैं. डॉ. आशिमा ने बताया कि कई लोग घर में 13 से 15 घंटे तक काम कर रहे हैं जो कि उनके मेंटल हेल्थ के लिए खतरे की घंटी है. कई लोगों को इस लॉकडाउन में नौकरी चले जाने का डर भी सता रहा है जिसके चलते वह तनाव का शिकार हो रहे हैं. ऐसे में डिप्रेस्ड लोगों के मन में सुसाइड करने का ख्याल सबसे ज्यादा आता है.
डिप्रेशन में लोग काफी हताश हो जाते हैं
डॉ. आशिमा ने बताया कि डिप्रेशन में लोग काफी हताश हो जाते हैं. ऐसे में सुसाइड के अलावा उनके पास और कोई चारा नहीं बचता. तनाव ग्रसित लोगों में अपने जीवन में आशा की कोई किरण नजर नहीं आती है. ऐसे में उन्हें मरने के अलावा कुछ नहीं सूझता. इसके अलावा सुसाइड की टेंडेंसी के लिए कुछ कैमिकल्स भी जिम्मेदार होते हैं जो शरीर में तनाव की स्थिति को और अधिक बढ़ाते हैं.
अपना परिवार कैसे पालेंगे
वहीं डॉ. आशिमा ने बताया कि लॉकडाउन में सुसाइड की स्थिति ज्यादा बन रही है. कुछ लोग इस समय अपने काम को लेकर चिंतित हैं जिन्हें लग रहा है कि लॉकडाउन की वजह से उनकी नौकरी जा सकती है और ऐसे में वह अपना परिवार कैसे पालेंगे, वहीं जिन लोगों की नौकरी चली गई है और उनके पास खाने तक के पैसे नहीं हैं उनमें भी सुसाइड करने की टेंडेंसी पैदा हो रही है.
बीमारी से न लड़ पाने का भय
वहीं कुछ लोग जो कोविड 19 पॉजिटिव हैं उनमें इस बीमारी से न लड़ पाने का भय काम कर रहा है जिसके चलते वह सुसाइड कर रहे हैं, वहीं कई कोरोना संक्रमित ये सोचकर सुसाइड की तरफ कदम बढ़ाना चाहते हैं कि वह इस अछूत बीमारी से ग्रसित हो चुके हैं और दूसरे लोग अब उन्हें किसी अलग दृष्टि से देखेंगे या फिर उन्हें इस समाज से अलग कर दिया जाएगा.
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