'राम' बने थे 'वासुदेव' का सहारा, मुंबई आने के बाद किया था झाड़ू-पोछे का काम

'राम' बने थे 'वासुदेव' का सहारा, मुंबई आने के बाद कभी किया था झाड़ू-पोछे का काम

'रामायण', 'महाभारत' के किरदारों के बाद अब दर्शक 'कृष्णा (Krishna)' के किरदारों के बारे में जानना चाह रहे हैं. सीरियल में कृष्ण के पिता यानी वासुदेव का किरदार सुनील पांडे (Sunil Pandey) ने निभाया है.

'राम' बने थे 'वासुदेव' का सहारा, मुंबई आने के बाद कभी किया था झाड़ू-पोछे का काम

मुंबई. लॉकडाउन (Lockdown) से पहले कोई ये नहीं जानता था कि 80 और 90 के दशक में जिन टीवी सीरियल्स की धूम थी वो एक बार फिर से टीवी पर छा जाएंगे. 'रामायण', 'महाभारत' के साथ दूसदर्शन पर पुराने सीरियल्स लोगों की भारी डिमांड के बाद शुरू किए गए. धार्मिक सीरियल 'रामायण', 'महाभारत' खत्म हो गया है, अब दूरदर्शन पर इन दिनों दर्शकों को 'कृष्णा (Krishna)' बेहद भा रहा है. शो में काम करने वाले कलाकार भी अपने दमदार अभिनय के जरिए खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं. इस शो में कृष्ण के पिता वासुदेव (Vasudev) की भूमिका सुनील पांडे (Sunil Pandey) ने निभाई थी. सुनील पांडे अभिनेता के साथ-साथ एक डबिंग आर्टिस्ट भी हैं.

बिहार से रखते हैं ताल्लुक
'रामायण', 'महाभारत' के किरदारों के बाद अब दर्शक 'कृष्णा (Krishna) ' के किरदारों के बारे में जानना चाह रहे हैं. सीरियल में कृष्ण के पिता यानी वासुदेव का किरदार सुनील पांडे (Sunil Pandey) ने निभाया है. सुनील के बिहार के चंपारण जिले के रहने वाले हैं. बॉलीवुड और टीवी इंडस्ट्री में वो किसी को नहीं जानते ते, लेकिन एक्टिंग के जुनून ने उन्हें यहां तक पहुंचाया.

पिता का मिला साथ



सुनील पांडे के जुनून को उनके पिता समझ रहे थे. बेटे के ख्वाब को पूरा करने के लिए उनके पिता ने साथ दिया. एक इंटरव्यू के दौरान सुनील ने बताया था कि एक दिन उनके पिता ने भी बोल दिया कि इसके लिए तुम मुंबई चले जाओ. पिता के ऐसा बोलने पर सुनील ने मुंबई का रुख किया, जहां पर उन्हें लंबे संघर्षों का सामना करना पड़ा.



मुंबई पहुंचकर किया था झाड़ू-पोछा
सुनील ने बताया था कि जब वह मुंबई पहुंचे तो शुरुआत में उन्हें झाड़ू-पोछा का काम मिला. कई बार उन्हें एक्टर्स के कपड़ों पर आयरन करने को भी कहा जाता था. उन्होंने कहा कि ये शुरुआती दौर था, हालांकि सुनील ने कहा उस वक्त हर काम करने में उन्हें बहुत मजा आता था.

थिएटर में मिलने लगा था काम
काफी मेहनत के बाद उन्हें धीरे-धीरे पृथ्वीराज थिएटर के नाटकों में छोटे-मोटे रोल मिले, तभी उनकी मुलाकात गोविंद पुरी से हुई. गोविंद पुरी ने ही सुनील को राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म 'नदिया के पार' में काम करने का मौका दिया. इस फिल्म में वो अभिनेता सचिन पिलगांवकर के दोस्त दशरथ के रोल में नजर आए थे.

रिलीज नहीं हुई ये फिल्म
फिल्म 'नदिया के पार' के बाद सुनील को फिल्म 'अपना भी कोई होता' में लीड रोल मिला, लेकिन ये फिल्म रिलीज ही नहीं हुई. इसके बाद सुनील क्षेत्रीय फिल्मों में बिजी हो गए, लेकिन मन में एक खटक थी कि जिस नाम के लिए वो यहां आए, वो नाम नहीं हो सका.

'राम' बने 'कृष्ण' का सहारा
एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया कि एक बार राजस्थानी फिल्म 'बेटी राजस्थान की' शूटिंग के दौरान ही सुनील की मुलाकात अरुण गोविल हुई थी, जिनके जरिए उन्हें दूरदर्शन के सीरियल 'मसाल' में काम मिला, यहीं से सुनील के धारावाहिक में काम करने का सिलसिला शुरू हुआ था. उन्होंने रामानंद सागर के 'कृष्णा' के अलावा 'अलिफ लैला' में भी काम किया है.

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