कौन है भारतीय मूल का ये शख्स, जो तय कर रहा है ब्रिटेन में लाखों लोगों की किस्मत
ब्रिटेन में कोरोना के कारण नौकरियां बचाने के लिए भारतीय मूल के वित्तमंत्री ने एक फैसला किया. फलो स्कीम (furlough scheme) नामक इस फैसले के तहत कंपनियां कर्मचारी को नौकरी से अस्थायी वक्त के लिए निलंबित कर सकती हैं लेकिन निकाल नहीं सकतीं. बदले में सरकार कर्मचारी को 80 प्रतिशत पगार देती रहेगी.

कौन हैं ऋषि सुनक
जॉनसन मंत्रिमंडल में 39 वर्षीय सुनक भारतीय मूल के वित्तमंत्री हैं. वे साल 2019 में रिचमंड से दूसरी बार सांसद चुने गए थे. वैसे मंत्रिमंडल में वित्त मंत्रालय पहली बार किसी भारतीय मूल के सांसद के पास पहुंचा है. इसे ब्रिटिश सरकार में काफी अहम विभाग माना जाता है. ब्रिटेन में ही जन्मे ऋषि ने करियर की शुरुआत इनवेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैशे (Goldman Sachs Group Inc) से की थी. ऋषि की पत्नी इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति की बेटी हैं.

ब्रिटेन में बैंक ऑफ इंग्लैंड मान रहा है कि बेरोजगारी की दर 3.9% से बढ़कर सीधे 10% हो जाएगी (Photo-pixabay)
क्या है फलो स्कीम
यूके में कोरोना संकट के दौर में ये स्कीम लागू की गई. इसके तहत कंपनियां अपने कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाल सकतीं, बल्कि उसे सरकार की ओर से 80 प्रतिशत दिया जाएगा. इस वक्त में कर्मचारी को दफ्तर नहीं जाना होगा, बल्कि घर बैठे ही पैसे मिलेंगे. इसी पैसे से उसे सरकारी टैक्स भी भरने होंगे. स्कीम के बारे में हाल ही में वित्तमंत्री ऋषि ने घोषणा की कि ये अक्टूबर तक चल सकती है. हालांकि इतने लंबे वक्त सरकार इतने सारे शायद ही दे सके. इसे ही देखते हुए योजना में कुछ बदलाव लाए जा सकते हैं.
क्या है चुनौती
ऋषि ने कोरोना काल के संकट को देखते हुए यूके में 8 अरब से ज्यादा लोगों को घर बैठे 80 प्रतिशत से ज्यादा सैलेरी दिलवाने की बात की. इसमें 102 खरब डॉलर का खर्च बैठता है. ब्रिटिश चैंबर ऑप कॉमर्स के डायरेक्टर जनरल एडम मार्शल के मुताबिक ये प्रोग्राम काफी बड़ा रिस्क है. ये भी हो सकता है कि काफी समय तक खाली रहने की वजह से उन्हें इसी की आदत लग जाए.
बोरिस सरकार डरी हुई है क्योंकि पहले ही कोरोना के इतने फैलने के कारण लोग सरकार पर आरोप लगा रहे हैं. ऐसे में अगर ऋषि का कदम भी बेकार साबित हुआ तो अगले चुनावों में वोटर ये बता देंगे. अगर ऋषि किसी तरह से सफल भी हो गए, तो इतने बड़े खर्च को एडजस्ट करने के लिए उन्हें कई कदम उठाने होंगे, जैसे टैक्स बढ़ाना या फिर विश्व के दूसरे देशों से उधार लेना.

ब्रिटेन में कोरोना संक्रमितों की संख्या 2 लाख 55 हजार से ज्यादा हो चुकी है (Photo-pixabay)
बढ़ेगी बेरोजगारी की दर
वैसे ब्रिटेन में बैंक ऑफ इंग्लैंड और ऑफिसर ऑफ बजट रिस्पॉन्सिबलिटी दोनों ही मान रहे हैं कि बेरोजगारी की दर 3.9% से बढ़कर सीधे 10% हो जाएगी. इसका मतलब है कि वहां 3.4 अरब लोग बेरोजगार होंगे. ये हालात वहां और पूरी दुनिया में साल 1929 में बने थे, जिस दौर को ग्रेट डिप्रेशन के नाम से भी जाना जाता है. अब ब्रिटेन में दोबारा उसी डिप्रेशन की आहट सुनाई दे रही है. खुद ऋषि इस बात को मानते हैं कि वे सारे लोगों की नौकरियां नहीं बचा सकेंगे और देश में मंदी आएगी ही.
कैसे संभाला जाएगा खर्च
अब तक, चांसलर का ध्यान लोगों की नौकरियां बचाने पर रहा है. उन्होंने कोशिश की कि लोगों को हर महीने 2,500 पाउंड मिलते रहें लेकिन अब हालात मुश्किल हो रहे हैं. वायरस का संक्रमण अब भी बंद नहीं हुआ है. इससे सरकार पर लोगों को घर बैठे पैसे देने का अतिरिक्त दबाव बढ़ता ही जा रहा है. माना जा रहा है कि इस साल यूके पर आया ये संकट 123 खरब पाउंड से भी ज्यादा का होगा .
ये हो सकते हैं नए तरीके
भले ही ब्रिटेन में अब वायरस का पीक नहीं रहा लेकिन बहुत से स्तरों पर लॉकडाउन अब भी लागू है. इसके बाद भी 12 मई को ऋषि ने कहा कि वे घर बैठे लोगों को अगले 5 महीनों तक और पैसे दे सकते हैं यानी अक्टूबर तक पैसे मिलेंगे. हालांकि इसपर फैसला लिया जा सकता है कि अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में नौकरियां सुरक्षित रखने में सरकार का योगदान कम से कम हो. ये भी हो सकता है कि लोगों से पार्ट टाइम के लिए काम पर आने की अपील की जाए और इसके बदले में उन्हें पूरा भुगतान हो.
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