गणना से खगोलविद ने बताया, कितना संभव है पृथ्वी के बाहर जीवन
सांख्यिकी विश्लेषण (Statistical Analysis) से पता चला है कि दूसरे ग्रहों पर जीवन तो संभव है, लेकिन मानव बुद्धिमत्ता जैसा कुछ होना बहुत मुश्किल है.

नई दिल्ली: पृथ्वी के बाहर जीवन की तलाश (Search of life) हमेशा से ही वैज्ञानिकों का एक पसंदीदा विषय रहा है. पृथ्वी पर ही जीवन (life on Earth) 4 अरब साल पहले ही शुरू हो गया था, लेकिन अभी तक हम यह नहीं समझ पाए हैं कि यह जीवन शुरू कैसे हुआ. यह ऐसा सवाल है जिसकी वैज्ञानिकों को शिद्दत से तलाश है. इसका हमारे दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश पर गहरा असर पड़ सकता है. अब एक सांख्यिकी अध्ययन (Statistical study) के आधार पर यह जानने की कोशिश की गई है कि पृथ्वी से बाहर जीवन और बुद्धिमत्ता के विकास की क्या संभावना है.
किसने किया है यह अध्ययनयह शोध प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशित हुआ है. इसमें कोलंबिया के एस्ट्रोनॉमी विभाग के एसिस्टेंट प्रोफेसर डेविड किपिंग ने बताया है कि कैसे बेसियन इंफ्रेंस नाम की सांख्यिकी तकनीक का उपयोग कर किया गया विश्लेषण दूसरे ग्रहों पर जीवन के उद्भव पर प्रकाश डाल सकता है.
क्या है विश्लेषण का आधार
किपिंग का कहना है कि पृथ्वी के निर्माण के बाद जल्दी ही यहां जीवन शुरू हो गया था, लेकिन मानव का बहुत बाद में आगमन हुआ. इस शोध में ऐसे कई तथ्यों से मिली जानकारियों को परिमाणित (quantify) किया गया है उनकी मात्रा निर्धारित की गई है.
किस तरह की जानकारी का किया गया विश्लेषण
इस विश्लेषण को करने के लिए किपिंग ने जीवन के आरंभ के प्रमाण और मानवता के विकास के घटनाक्रम का उपयोग किया. इसमें इस प्रश्न पर जोर दिया गया कि यदि पृथ्वी का इतिहास बार बार दोहराया जाए, तो जीवन और बुद्धिमत्ता के होने की क्या संभावना होगी.
तैयार किए गए चार संभावित उत्तरइसी सवाल को आधार बनाकर किपिंग ने समस्या के चार संभावित जवाबों को तैयार किया. पहला था कि जीवन सर्वनिष्ठ है यानि हर जगह है, और उससे प्रायः बुद्धिमत्ता का विकास होता है. दूसरा, जीवन विरल है, यानि बहुत कम है, बुद्धिमत्ता का विकास प्रायः कर पाता है. तीसरा जीवन सर्वनिष्ठ है, और कभी कभी ही बुद्धिमत्ता विकसित कर पाता है. चौथा, जीवन विरल है और कभी कभी ही बुद्धिमत्ता विकसित कर पाता है.
नए नतीजों के साथ फिर निकाले जा सकते हैं नतीजेजैसे ही प्रमाण या जानकारी उपलब्ध होती है, इस ‘बेसियन सांख्यिकी इंफ्रेंस; का उपयोग उसे प्रायिकता या संभाव्यता में जोड़ने ने लिए किया जाता है. जिस सिस्टम का मॉडल बनाया जा रहा है उसके बारे में पहले की धारणाओं के बारे में जानकारी तय होती है. इसके बाद इस आंकड़ों के साथ मिला कर संभावित नतीजों को निकाला जाता है. इसमें बार बार आने नतीजों से हासिल की जानकारी का फिर से उपयोग कर फिर नतीजे निकाले जाते हैं.
जीवन होने की संभावना है ज्यादाकिपिंग ने पाया कि जब सर्वनिष्ठ जीवन का विरल जीवन की जब संभावनाओं से तुलना की गई तो एक विरल जीवन के मुकाबले नौ बार सर्वनिष्ठ जीवन ही आया. इस विश्लेषण में इस प्रमाण को शामिल किया गया है कि पृथ्वी पर महासागरों के निर्माण के 30 करोड़ साल बाद शुरू हो गया था जो पृथ्वी के जीवन काल के अनुसार बहुत ही जल्दी है.
लेकिन बुद्धिमत्ता के होने की संभावना कम इस विश्लेषण के अनुसार यदि किसी ग्रह पर ऐसी शुरुआती स्थितियां पाई जाती हैं तो वहां जीवन शुरू होने की संभावना बहुत ही ज्यादा होगी. बुद्धिमत्ता पूर्ण जीवन की संभवाना 3:2 होगी. इस नतीजे पर इस बात का अधिक प्रभाव है कि पृथ्वी पर मानव का आगमन काफी देर से हुआ. यह न तो सरल था और न ही सुनिश्चित, किपलिंग के अनुसार बुद्धिमत्ता के आने की संभावना काफी कम होती है.
किपलिंग के मुताबिक यह विश्लेषण गारंटी नहीं दे सकता, केवल सांख्यिकी संभाव्यता बता सकता है वह भी पृथ्वी पर जो हुआ उसी के आधार पर. फिर भी पृथ्वी के बाहर जीवन होने की संभावना काफी है और इसकी खोज में हमें लगे रहना चाहिए.
किसने किया है यह अध्ययनयह शोध प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशित हुआ है. इसमें कोलंबिया के एस्ट्रोनॉमी विभाग के एसिस्टेंट प्रोफेसर डेविड किपिंग ने बताया है कि कैसे बेसियन इंफ्रेंस नाम की सांख्यिकी तकनीक का उपयोग कर किया गया विश्लेषण दूसरे ग्रहों पर जीवन के उद्भव पर प्रकाश डाल सकता है.
क्या है विश्लेषण का आधार
किपिंग का कहना है कि पृथ्वी के निर्माण के बाद जल्दी ही यहां जीवन शुरू हो गया था, लेकिन मानव का बहुत बाद में आगमन हुआ. इस शोध में ऐसे कई तथ्यों से मिली जानकारियों को परिमाणित (quantify) किया गया है उनकी मात्रा निर्धारित की गई है.

पृथ्वी के बाहर जीवन की संभावना तलाशने का यह अपनी तरह का पहला सांख्यिकी विश्लेषण है.
किस तरह की जानकारी का किया गया विश्लेषण
इस विश्लेषण को करने के लिए किपिंग ने जीवन के आरंभ के प्रमाण और मानवता के विकास के घटनाक्रम का उपयोग किया. इसमें इस प्रश्न पर जोर दिया गया कि यदि पृथ्वी का इतिहास बार बार दोहराया जाए, तो जीवन और बुद्धिमत्ता के होने की क्या संभावना होगी.
तैयार किए गए चार संभावित उत्तरइसी सवाल को आधार बनाकर किपिंग ने समस्या के चार संभावित जवाबों को तैयार किया. पहला था कि जीवन सर्वनिष्ठ है यानि हर जगह है, और उससे प्रायः बुद्धिमत्ता का विकास होता है. दूसरा, जीवन विरल है, यानि बहुत कम है, बुद्धिमत्ता का विकास प्रायः कर पाता है. तीसरा जीवन सर्वनिष्ठ है, और कभी कभी ही बुद्धिमत्ता विकसित कर पाता है. चौथा, जीवन विरल है और कभी कभी ही बुद्धिमत्ता विकसित कर पाता है.
नए नतीजों के साथ फिर निकाले जा सकते हैं नतीजेजैसे ही प्रमाण या जानकारी उपलब्ध होती है, इस ‘बेसियन सांख्यिकी इंफ्रेंस; का उपयोग उसे प्रायिकता या संभाव्यता में जोड़ने ने लिए किया जाता है. जिस सिस्टम का मॉडल बनाया जा रहा है उसके बारे में पहले की धारणाओं के बारे में जानकारी तय होती है. इसके बाद इस आंकड़ों के साथ मिला कर संभावित नतीजों को निकाला जाता है. इसमें बार बार आने नतीजों से हासिल की जानकारी का फिर से उपयोग कर फिर नतीजे निकाले जाते हैं.

फिलहाल पृथ्वी की तरह जीवन के अनुकूल परिस्थितियां किसी दूसरे ग्रह पर नहीं हैं.
जीवन होने की संभावना है ज्यादाकिपिंग ने पाया कि जब सर्वनिष्ठ जीवन का विरल जीवन की जब संभावनाओं से तुलना की गई तो एक विरल जीवन के मुकाबले नौ बार सर्वनिष्ठ जीवन ही आया. इस विश्लेषण में इस प्रमाण को शामिल किया गया है कि पृथ्वी पर महासागरों के निर्माण के 30 करोड़ साल बाद शुरू हो गया था जो पृथ्वी के जीवन काल के अनुसार बहुत ही जल्दी है.
लेकिन बुद्धिमत्ता के होने की संभावना कम इस विश्लेषण के अनुसार यदि किसी ग्रह पर ऐसी शुरुआती स्थितियां पाई जाती हैं तो वहां जीवन शुरू होने की संभावना बहुत ही ज्यादा होगी. बुद्धिमत्ता पूर्ण जीवन की संभवाना 3:2 होगी. इस नतीजे पर इस बात का अधिक प्रभाव है कि पृथ्वी पर मानव का आगमन काफी देर से हुआ. यह न तो सरल था और न ही सुनिश्चित, किपलिंग के अनुसार बुद्धिमत्ता के आने की संभावना काफी कम होती है.
किपलिंग के मुताबिक यह विश्लेषण गारंटी नहीं दे सकता, केवल सांख्यिकी संभाव्यता बता सकता है वह भी पृथ्वी पर जो हुआ उसी के आधार पर. फिर भी पृथ्वी के बाहर जीवन होने की संभावना काफी है और इसकी खोज में हमें लगे रहना चाहिए.
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