कोरोनावायरस संक्रमण का असर सभी सेक्टर्स में दिख रहा है। अब साख निर्धारक तथा बाजार अध्ययन कंपनी क्रिसिल के एक सर्वे में सामने आया है कि देश में चालू वित्त वर्ष में सीमेंट की मांग 30 फीसदी तक गिर सकती है।
13 राज्यों में किया सर्वे
क्रिसिल ने सोमवार को 13 राज्यों के बड़े तथा मझोले शहरों में सर्वे के आधार पर कहा कि अधिकतर सीमेंट डीलर बिक्री में कमी, नकदी की किल्लत और बकाया भुगतान मिलने में देरी की आशंका जता रहे हैं। सर्वे में हिस्सा लेने वाले 93 प्रतिशत डीलरों का मानना है था लॉकडाउन मई में हटाए जाने की स्थिति में बिक्री में 10 से 30 प्रतिशत के बीच गिरावट आ सकती है। यह सर्वे तब कराया गया था जब यह स्पष्ट नहीं था कि लॉकडाउन का चौथा चरण कब तक रहेगा। गृह मंत्रालय ने रविवार को बताया है कि लॉकडाउन का चौथा चरण 18 मई से 31 मई तक जारी रहेगा।
व्यक्तिगत बिल्डर नहीं उठाएंगे जोखिम
दूसरी तरफ 70 से 80 प्रतिशत डीलरों ने आशंका जताई है कि व्यक्तिगत बिल्डर इस समय जोखिम नहीं लेने चाहेंगे। ऐसे में नुकसान उठाने, मजदूरों की कमी और अर्थव्यवस्था को लेकर अनिश्चितता के डर से फिलहाल वे कोई नया निर्माण शुरू नहीं करेंगे। इंवेंटरी को लेकर 60 प्रतिशत डीलरों ने कहा है कि उनके पास दो-चार दिन का ही स्टॉक है। इसके बावजूद सीमेंट के खराब होने का डर बना हुआ है। उन्होंने उम्मीद जताई कि लॉकडाउन खुलने के बाद छूट के साथ बेचकर पुराना स्टॉक जल्द खपाया जा सकेगा।
खुदरा विक्रेताओं की ओर से भुगतान में देरी की आशंका
डीलरों ने यह भी आशंका जताई है कि खुदरा सीमेंट विक्रेताओं की ओर से भुगतान में देरी हो सकती है। इससे उनके सामने कार्यशील पूंजी का संकट पैदा हो सकता है। आम तौर पर खुदरा विक्रेताओं से भुगतान करीब चार सप्ताह बाद ही मिलता है। अब इसमें एक-डेढ़ महीने की अतिरिक्त देरी हो सकती है। इस कारण उन्हें 12 से 17 प्रतिशत अतिरिक्त कार्यशील पूंजी की आवश्यकता होगी।
दूसरी छमाही में आ सकता है सुधार
क्रिसिल ने कहा है कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में स्थिति में सुधार आ सकती है। मांग बढ़ सकती है तथा बकाया भुगतान मिलने में होने वाली देरी धीरे-धीरे कम होने की उम्मीद है। हालांकि, शहरी इलाकों में लंबे समय तक लॉकडाउन रहने से सुधार की रफ्तार ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में धीमी रहेगी।
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