सर्वाधिक मृत्यु दर: अहमदाबाद में कोविड 19 अस्पताल कैसे बना कब्रगाह?

सर्वाधिक मृत्यु दर: अहमदाबाद में कोविड 19 अस्पताल कैसे बना कब्रगाह?

लॉकडाउन (Lockdown) में ढील देने का दौर आ गया, लेकिन Corona Virus संक्रमण के चलते हुई मौतों की रफ्तार के मामले में गुजरात (Gujarat) का सबसे अहम शहर अहमदाबाद अव्वल है. मुंबई (Mumbai) की तुलना में दोगुनी और नई दिल्ली (News Delhi) से चौगुनी मृत्यु दर अहमदाबाद में क्यों देखी गई? जानिए परदे के पीछे की पूरी कहानी.

सर्वाधिक मृत्यु दर: अहमदाबाद में कोविड 19 अस्पताल कैसे बना कब्रगाह?

कोरोना वायरस संक्रमण (Infection) के दौर में अहमदाबाद (Ahmedabad) में तेज़ी से बढ़ी मृत्यु दर (Mortality Rate) ने नागरिक प्रशासन, स्वास्थ्य सेक्टर आदि पर सवाल खड़े कर दिए हैं. एक तरफ, प्रशासन का मानना है कि इसका कारण मरीज़ों का देर से अस्पताल में दाखिल होना और मरीज़ों का अन्य बीमारियों (Co-Morbidity) से ग्रस्त होना रहा है, तो दूसरी तरफ, भारत में Covid 19 की राष्ट्रीय मृत्यु दर से बहुत ज़्यादा और मुंबई से दोगुनी मृत्यु दर होने पर अहमदाबाद पर सबकी नज़रें हैं.

देश में कोविड 19 से जुड़ी मृत्यु दर अब तक 2.98% रही है, ​जबकि मुंबई में 3.34% और नई दिल्ली में 1.68% लेकिन अहमदाबाद में मृत्यु दर 6.63% दर्ज की जा रही है. तैया​री, बीमारी के दौरान और उसके बाद मरीज़ की देखभाल से जुड़े पहलुओं के विश्लेषण के साथ ही ये भी जानिए कि क्यों शहर के 'कोविड 19 अस्पताल को कब्रगाह' कहा जा रहा है.

अस्पताल है या कब्रिस्तान?
अहमदाबाद के नागरिक अस्पताल के 1200 बिस्तरों को कोविड अस्पताल में तब्दील किया गया लेकिन 25 मार्च से 18 मई तक के आंकड़ों के आधार पर ओआरएफ की रिपोर्ट में लिखा गया है कि अस्पताल में 343 मरीज़ों की मौत हो चुकी है, जबकि 338 मरीज़ डिस्चार्ज किए गए. इन आंकड़ों के चलते, इस अस्पताल के इंतज़ामों पर सवालिया निशान लगे हैं.



तैयारी के स्तर पर कई खामियां

गुजरात के सबसे प्रमुख शहर में ज़रूरी सेवाओं में लगे कार्यकर्ताओं से बात के हवाले से ओआरएफ की रिपोर्ट कहती है कि अहमदाबाद में मूलभूत नियंत्रण नीतियां लागू करने में प्रशासन नाकाम रहा. इसके अलावा, समय से कदम न उठाने के कारण प्रशासन के रवैये ने और मुश्किलें खड़ी कीं. जानें कि क्या हुआ जो न होता तो स्थितियां शायद बेहतर होतीं.

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कोविड 19 के सिल​सिले में अहमदाबाद में तैयारियों के स्तर पर कई कमियां नज़र आईं. फाइल फोटो.


1. सिविल अस्पताल को कोविड अस्पताल के तौर पर तैयार करने से पहले कोविड 19 के मरीज़ों को पुराने अस्पताल में भर्ती किया गया.
2. किसी तैयारी के बगैर आलम यह था कि कोविड वार्ड और जनरल वार्ड में स्पष्ट अंतर नज़र नहीं आ रहे थे तो स्वास्थ्यकर्मी दोनों तरफ के मरीज़ों के संपर्क में रहे.
3. संक्रमण नियंत्रण केंद्र और कोविड 19 की संरचनात्मक व्यवस्थाओं में हुई देर से अहमदाबाद को कीमत चुकानी पड़ी.
4. इस देर का सबसे बड़ा कारण यह था कि प्रशासन ने अपने फैसलों के लिए टीम में किसी स्वास्थ्य विशेषज्ञ को शामिल नहीं किया.

समय पर चेतता प्रशासन तो..
इन तमाम अव्यवस्थाओं के चलते नागरिक अस्पताल पर अचानक बोझ बढ़ गया था. इस स्थिति से निपटने के लिए अहमदाबाद नगर पालिका ने कोविड 19 अस्पतालों की संख्या बढ़ाई, जो अब 42 हो गई है लेकिन यह कदम पिछले हफ्ते यानी 16 मई को उठाए गए. यही व्यवस्थाएं समय रहते की गई होतीं तो हालात बेहतर हो सकते थे.

अव्यवस्थाओं की कहानियां
नागरिक अस्पताल में 25 मरीज़ों को इलाज से इनकार कर मरीज़़ों को इंतज़ार करवाए जाने की बात रिपोर्ट कहती है. सिविल अस्पताल के साथ ही एसवीपी में एक हेड कॉंस्टेबल को भी बिस्तर न होने और दाखिल किए जाने की तैयारी न होने जैसे कारणों से अस्पताल में दाखिल नहीं किया गया. दूसरी ओर, 900 वेंटिलेटरों की खरीदी भी सवालों के घेरे में है.

अहमदाबाद को सबक लेने ही होंगे
स्वास्थ्य कार्यकर्ता सीमा से ज़्यादा काम कर चुके हैं, स्वास्थ्य सुविधाएं चूर हो चुकी हैं और नीतियों की पोल खुल चुकी है. अहमदाबाद में तेज़ी से बढ़ी मृत्यु दर के पीछे के ये कारण सामने आने के बाद यह भी ज़ाहिर हो चुका है कि मरीज़ों की देखभाल में बहुत समझौते हुए. अब जबकि लॉकडाउन उठाया जा रहा है और कई प्रतिबंधों में छूट दी जा रही है, ऐसे में कोविड 19 संक्रमण के दूसरे दौर को लेकर अगर शहर ने पूरी सतर्कता और क्षमता न दिखाई तो नतीजे इससे भी ज़्यादा खराब होने की आशंका होगी.

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