भारत और अन्य बड़े देशों के कोविड-19 पैकेज में क्या है समानता और अंतर

कोविड-19 लड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित आत्मनिर्भर भारत पैकेज की आखिरी किस्त वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को जारी की। सरकार का यह पूरा पैकेज 20,97,053 करोड़ रुपए का है। सरकार के मुताबिक यह देश की जीडीपी के करीब 10 फीसदी के बराबर है। हालांकि कई विशेषज्ञ एजेंसियों ने कहा है कि इस पैकेज के तहत सरकार जीडीपी के करीब 1 फीसदी के बराबर ही खर्च कर रही है। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी इस पैकेज के आकार को लेकर असंतोष जताया है।

वित्त मंत्री ने 5 किस्तों में कुल 11,02,650 करोड़ रुपए का पैकेज जारी किया

करीब 21 लाख करोड़ रुपए के पैकेज के दो हिस्से हैं। एक वो जो पीएम की घोषणा से पहले ही जारी कर दिए गए थे। दूसरा वो जो पीएम की घोषणा के बाद जारी हुए। सीतारमण ने कहा कि पीएम की घोषणा के बाद बुधवार 13 मई से लेकर रविवार 17 मई तक 5 किस्तों में सरकार ने कुल 11,02,650 करोड़ रुपए का पैकेज जारी किया है। पीएम की मंगलवार की घोषणा से पहले ही सरकार ने 9,94,403 करोड़ रुपए की राहत की घोषणा कर दी थी। इसमें सरकार द्वारा पहले घोषित 1,92,800 करोड़ रुपए का पैकेज और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा घोषित 8,01,603 करोड़ रुपए की मौद्रिक राहत शामिल है।

जीडीपी का 6.4 % खाद्य सुरक्षा, डीटीसी, मनरेगा, एमएसएमई क्रेडिट गारंटी, आदि पर होगा खर्च

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने 12,95,450 करोड़ रुपए खाद्य सुरक्षा, डायरेक्ट कैश ट्र्रांसफर, मनरेगा खर्च, एमएसएमई को क्रेडिट गारंटी, आदि योजनाओं पर खर्च करने का वादा किया है। यह राशि देश की जीडीपी के 6.4 फीसदी के बराबर है। आरबीआई ने मौद्रिक नीति के तहत मुख्य ब्याज दर में कटौती कर और बाजार में नकदी बढ़ाने के लिए जो 8,01,603 करोड़ रुपए का पैकेज जारी किया है, वह जीडीपी के 3.9 फीसदी के बराबर है। ये है कोविड-19 से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अब तक भारत सरकार द्वारा दिए गए राहत पैकेज का मोटा ब्योरा। आइए जानते हैं कि कुछ दूसरे बड़े देशों ने कोरोनावायरस महामारी से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए कितना और किस तरह का पैकेज जारी किया है।

अमेरिका ने जीडीपी के 14.3 फीसदी के बराबर पैकेज जारी किया

अमेरिका ने अपनी जीडीपी का 2.3 फीसदी पेचेक प्रोटेक्शन प्रोग्राम और हेल्थकेयर एनहांसमेंट एक्ट पर खर्च करने की घोषणा की है। पेचेक प्रोटेक्शन प्रोग्राम मार्च के आखिर में शुरू किया गया था। इसमें कंपनियों को लॉकडाउन की घोषणा के बावजूद 8 सप्ताह तक कर्मचारियों को नौकरी पर रखे रहने के लिए मदद दी गई थी। कंपनियां मध्य फरवरी से लेकर 30 जून तक कभी भी यह आठ सप्ताह चुन सकती हैं। अमेरिका ने जीडीपी का 11 फीसदी हिस्सा केयर (कोरोनावायरस एड, रिलीफ, एंड इकॉनोमिक सिक्योरिटी) कानून पर खर्च करने का वादा किया है। इस कानून के तहत अमेरिका कोरोनावायरस से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए 2 लाख करोड़ डॉलर खर्च करेगा। राष्ट्र्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस विधेयक पर 27 मार्च को हस्ताक्षर किया था। इसके अलावा अमेरिका जीडीपी का 1 फीसदी फमिलीज फर्स्ट कोरोनावायरस रिस्पांस कानून (एफएफसीआरए) पर खर्च करेगा। इसमें कर्मचारियों के लिए वैतनिक अवकाश बढ़ाने (दो अप्रैल से 31 दिसंबर तक) और उसके बाद पूरक बजट आवंटन का प्रावधान है। फेडरल रिजर्व ने डिस्काउंट विंडो पर ब्याज दर भी घटा दी। यह वह दर है, जिस पर बैंक सीधे फेडरल रिजर्व से उधार लेता है। इस ब्याज दर को 1.50 फीसदी घटाकर मार्च में 0.25 फीसदी कर दिया गया। अमेरिका ने कर्ज प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए भी सुविधा दी।

चीन का कोविड पैकेज जीडीपी के 8.7 फीसदी के बराबर

चीन ने वित्तीय कदमों के तहत जीडीपी का 2.5 फीसदी खर्च करने की घोषणा की है। इसमें से जीडीपी के 1.2 फीसदी के पैकेज को लागू किया जा चुका है। इसके अलावा चीन ने लोकल बांड्स की घोषणा की है, जो जीडीपी के 1.3 फीसदी के बराबर है। बाजार में नकदी बढ़ाने के लिए वह जीडीपी का 3.2 फीसदी खर्च कर रहा है। रीलेंडिंग और रीडिस्काउंटिंग सुविधा पर वह जीडीपी का 1.7 फीसदी खर्च कर रहा है। पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने मुख्य ब्याज दर में 0.10-1.50 फीसदी कटौती की घोषणा की है।

जापान का पैकेज जीडीपी के 21.1 फीसदी के बराबर, दुनिया में सबसे बड़ा

अभी तक जीडीपी का सबसे बड़ा हिस्सा खर्च करने की घोषणा जापान ने की है। उसने जीडीपी का 21.1 फीसदी के बराकर पैकेज की घोषणा की है। इसमें से 16 फीसदी रोजगार और कारोबाार की सुरक्षा के लिए है। पैकेज के अन्य कदमों के तहत जापान सरकारी बांड का स्तर और फ्रीक्वेंसी बढ़ाकर बाजार में नकदी बढ़ाएगा और लघु उद्यमों को कम ब्याज दर पर कर्ज देगा।

जर्मनी का पैकेज उसकी जीडीपी के 10.7 फीसदी के बराबर

जर्मनी का पैकेज उसकी जीडीपी के 10.7 फीसदी के बराबर है। इसके तहत उसने रोजगा की सुरक्षा और अस्थायी रोजगार देने के लिए जीडीपी के 4.9 फीसदी के बराबर पूरक बजट पेश किया है। वह कर्ज में सरकारी गारंटी का इस्तेमाल कर रहा है और जीडीपी के कम से कम 23 फीसदी के बराबर कर्ज देगा। जर्मनी की प्रांतीय सरकारों का पैकेज इससे अलग है। मौद्रिक और आर्थिक पैकेज के तहत जर्मनी संपत्ति की खरीदारी कर रहा है। उसने बैंकों पर कारोबारी साल 2019 और 2020 के लिए लाभांश देने और बायबैक करने से रोक लगा दी है। इससे बैंकों के पास जो नकदी बचेगी, उसका इस्तेमाल आम आदमी और कारोबारियों को कर्ज देने में किया जाएगा। उपभोक्ता कर्ज के भुगतान पर 15 मार्च से लेकर 30 जून तक मोरेटोरियम लगाया गया है।



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प्रधानमंत्री ने करीब 21 लाख करोड़ रुपए के जिस आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की है, उसमें सरकार और आरबीआई द्वारा पहले जारी किए जा चुके पैकेज भी शामिल हैं


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